बिलासपुर ।छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मी कितने बेखौफ हैं इसका उदाहरण बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र में दिख जाएगा। जहां पटवारी ने तहसील कार्यालय में बिना सूचना के कूटरचना कर शासकीय जमीन को 5 लोगों के नाम चढ़ा दिया । मामला उजागर होने के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कम्प मच गया । कोटा तहसीलदार ने कूटरचना कर बिना किसी न्यायालय के आदेश के स्वयं से अन्य लोगों के नाम पर भूमि को दर्ज करवाने वाले सभी लोगों के खिलाफ उच्च अधिकारियों के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है।

मामला कोटा तहसील के ग्राम पंचायत खैरझिटी का है। मिली जानकारी के अनुसार, तत्कालीन पटवारी आरके चेलके, और उनके सहयोगी मनोज नवरंग और उनके भाई बालकदास ग्राम खैरझिटी द्वारा शासकीय भूमि को पटवारी से मिलकर के शासकीय अभिलेखों में कूटरचना कर फर्जीवाड़ा करते हुए राम खिलावन, कृपाराम श्याम, धनुराम, कलीराम के नाम पर खसरा नंबर 158 /3. एवं 158 / 7. रकबा 3.50 एवं 2.50 एकड़ भूमि को कूट रचित कर दर्ज करा लिया गया। उसी भूमि को उपरोक्त व्यक्तियों ने आशुतोष वाधवानी बिलासपुर जो कि रामखिलावन का मुख्तियार था, कूटरचना करते हुए स्वयं से खसरा नंबर 158 / 7 की भूमि को पटवारी से मिलकर रजिस्ट्री करवा लिया गया। शिकायतकर्ता सुनील भार्गव ग्राम खैरझिटी ने इस मामले की शिकायत की तहसीलदार कोटा न्यायालय में। तब भू अभिलेख में कूटरचना की शिकायत की जांच राजस्व निरीक्षक ने किया। जांच के बाद बताया गया है कि शासन के द्वारा कोरीबांध निर्माण के समय कुछ किसानों की भूमि डूबान में निकली थी, जो कि शासन के द्वारा निजी भूमि स्वामी को ग्राम खैरझिटी में शासकीय भूमि छोटे-बड़े झाड़ जंगल मद की भूमि को प्लाट बनाकर आवंटित किया गया। जिसका खसरा नंबर 50.158.159 वर्ष 1980 -81 में किया गया था। खसरा नं. 158 मिसल रकबे में 19.95 एकड़ भूमि दर्ज है, जिसे पटवारी आरके चेलक और उनके सहयोगी मनोज नवरंग ने फर्जीवाड़ा करते हुए टुकड़ों में बांटकर कूटरचना कर 19 एकड़ जमीन को 25 एकड़ अन्य लोगों के नाम दर्ज करवा दी गई। जिसके बाद जमीन पर उपार्जित धान का खरीदी केन्द्र में पंजीयन कराकर हर साल लाखों रुपये का धान भी बेचता आ रहा । बहरहाल इस मामले में कोटा तहसीलदार प्रांजल मिश्रा ने बताया कि कूटरचना कर बिना किसी न्यायालय के आदेश के स्वयं से अन्य लोगों के नाम पर भूमि को दर्ज करवा लिया गया है। सभी लोगों के खिलाफ उच्च अधिकारियों के निर्देश पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। वहीं अब देखने वाली बात है कि शासकीय जमीन को कूटरचना कर राजस्व अभिलेख में दर्ज करने वाले पटवारी व फर्जीवाड़ा कर धान बेचकर लाखों रुपये का चूना लगाने वालों पर क्या कार्रवाई होती है।