नई दिल्ली। भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रान्त पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 सितंबर को कोच्चि, केरल में आयोजित कार्यक्रम में नौसेना को आईएनएस विक्रांत सौपेंगे। इसके नौसेना बेड़े में शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत कई गुना अधिक बढ़ जाएगी।
विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रान्त की लंबाई 262 मीटर हैं, वहीं 62 मीटर चौड़ा है। विक्रांत की अधिकतम गति 28 नॉट है और यह 18 नॉटस की गति से 7500 नॉटिकल माइल की दूरी तय कर सकता है। इस पोत में 88 मेगावाट के चार गैस टर्बाइन लगे हुए हैं., जो एक छोटे-मोटे शहर को 24 घंटे पर्याप्त बिजली दे सकते हैं। विमानवाहक पोत में एक समय में 1700 नौसेनिक रह सकते हैं, इसमें महिला अधिकारियों के लिहाज से भी विशेष केबिन बनाए गए हैं।भारतीय नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने नौसेना को सौंपे जाने बाबत जानकारी देते हुए बताया कि आईएनएस विक्रान्त के उपकरणों का निर्माण देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हुआ है जिनमें अंबाला, दमन, कोलकाता, जालंधर, कोटा, पुणे और नई दिल्ली शामिल हैं। यह पोत हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत को उस स्तर तक ले जाएगी, जहां दुश्मनों का बेहतर तरीके से मुकाबला कर सके।उन्होंने बताया कि भारत के अब तक के सबसे बड़े युद्धपोत में करीब 2,500 किलोमीटर का केबल लगाया गया है। जहाज के लिए भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) के बीच साझेदारी स्टील का निर्माण किया गया है, जिससे इसे काफी मजबूती मिले. बाद में इसका निर्यात अन्य देशों में भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा, युद्धपोत को लड़ाकू विमान को संचालित करने के मकसद से बनाया गया है। लेकिन टीईडीबीएफ को भी संचालित किया जा सकेगा।