नया टी पी नगर स्थल विवाद प्रकरण की जांच की कवायद शुरू,सचिव स्तर की 9 सदस्यीय समिति गठित, पूर्व प्रस्तावित स्थल पर एसईसीएल के बाद पर्यावरण विभाग ने एनओसी देने किया इंकार ,भाजपा का पलटवार,जानें पूरा मामला ……

कोरबा। शहर में प्रस्तावित नया टी पी नगर के स्थल परिवर्तन को लेकर मचे आरोप प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार प्रकरण की परीक्षण के लिए सचिव स्तर की 9 सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है। गठित 9 सदस्यीय समिति न्यू ट्रांसपोर्ट नगर स्थल के संबंध में जांच परीक्षण कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगी ।

यहाँ बताना होगा कि नगर निगम द्वारा शहर से यातायात (भारी वाहनों ) का दबाव कम करने पूर्व महापौर रेणु अग्रवाल की अध्यक्षता में मेयर इन काउंसिल (एमआईसी)ने बरबसपुर में प्रस्तावित नया ट्रासंपोर्ट नगर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। 42 एकड़ भू -भाग में 38 करोड़ 87 लाख की लागत से इसका निर्माण करना था। नया ट्रांसपोर्ट नगर के लिए बरबसपुर में प्रस्ताव पारित होने के बाद इसके लिए आवश्यक प्रशासनिक और वैद्यानिक प्रक्रिया काफी हद तक पूर्ण हो चुकी थी।कोरबा शहर के बीचो-बीच ट्रांसपोर्ट नगर मौजूद है। जहां कोयला लदे भारी वाहन और हैवी ट्रैफिक का आवागमन होता है। शहर को भारी वाहनों के दबाव, ट्रैफिक और प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए ही अब से 3 वर्ष पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने बरबसपुर में नए टीपी नगर का भूमि पूजन किया था। नगर निगम ने प्रस्तावित भूमि पर टीपी नया नगर बनाने उसके एवज में शुल्क भी सरकार को जमा करा दिया था। राजपत्र में इसका प्रकाशन भी कर दिया गया था। मास्टर प्लान में भी भूमि-प्रस्तावित हो चुकी थी।
लेकिन ऐन वक्त पर जिला प्रशासन शासन के पत्र के बाद नया टी पी नगर के स्थल परिवर्तन में जुट गया। पत्र में उल्लेख था कि बरबसपुर के जिस स्थान पर भूमि प्रस्तावित है। वह मसाहती ग्राम है। जहां निजी भूमि के कारण दिक्कत आ सकती है। इसलिए झगरहा में स्थित भूमि को प्रसारित किया जा सकता है। महापौर के साथ करीब 2 माह पूर्व निरीक्षण पर पहुंचे राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने नया टी पी नगर के फाईल शिफ्टिंग पर राजस्व अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी। कोरबा । नया ट्रांसपोर्ट नगर को बरबसपुर की जगह झगरहा शिफ्ट किए जाने के प्रयास पर भड़के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल बरबसपुर पहुंचे। उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की बैठक हुई, उसमें स्थल चयनित किया गया। बकायदा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में पास किया गया।इसको भला आप लोग कैसे बदल सकते हैं। यह अधिकार किसने दिया। इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने यह कह दिया कि ट्रांसपोर्ट नगर तो शिफ्ट नहीं होगा, पर कलेक्टर जरूर शिफ्ट हो जाएंगे।
अपर कलेक्टर विजेंद्र पाटले, निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय समेत अन्य अधिकारी की मौजूदगी में राजस्व मंत्री अग्रवाल ने तहसीलदार मुकेश देवांगन से पूछा कि किसके आदेश पर शिफ्टिंग की फाइल आपने चलाई।तब तहसीलदार ने कहा कि पहले से फाइल चल रही थी, बस मैने उसे आगे बढाया। तब मंत्री मौके पर मौजूद अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) सीमा पात्रे से सवाल करते हुए पूछा कि आप बताईए, आप किसके कहने पर शिफ्टिंग की फाइल चला रही हैं। तब एसडीएम ने कहा कि इसके पूर्व के तहसीलदार ने पत्र लिखा था कि बरबसपुर मसाहती गांव है। अनसर्वेड होने की वजह से ट्रांसपोर्ट नगर के जमीन आबंटन में सीमा विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। तब मंत्री ने कहा कि जो काल्पनिक संभावित है, उसकी आप लोग चिंता कर रहे हैं। जो सरकारी है, उसे खुद आप लोग विवादास्पद बना रहे हैं। निजी जमीन दिखा कर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। अंत में उन्होंने कहा था कि कलेक्टर चाहे जो भी चाह लें, ट्रांसपोर्ट नगर तो यही बनेगा। आज से ही आगे की कार्रवाई कीजिए। एक सप्ताह के अंदर इस पर निर्णय नहीं होता है, तो आगे सोच लेना।राजस्व मंत्री के इस तल्ख तेवर के बाद राजनीति गरमा गई थी। पहले भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह, रामपुर विधायक व पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने राजस्व मंत्री व कोरबा विधायक व जयसिंह अग्रवाल के परिजनों तथा करीबियों के जमीनों को बरबसपुर में होना उजागर कर इसी वजह से नया ट्रांसपोर्ट नगर बसाने के लिए जिद्द करने पर आड़े हाथों लिया था। दूसरी तरफ जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल ने पूर्व में विधायक जयसिंह अग्रवाल द्वारा रुमगरा में नया ट्रांसपोर्ट नगर बसाने के प्रस्ताव के विरुद्ध तत्कालीन सांसद डॉ. बंशीलाल महतो के द्वारा बरबसपुर में ट्रांसपोर्ट नगर बसाने के प्रस्ताव पर कारण उजागर करते हुए भाजपा नेताओं के नाम सार्वजनिक किए थे जिनकी जमीन यहाँ मौजूद है।इन तमाम विवादों के बीच 14 जनवरी को भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत कोरबा जिले के प्रवास पर रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से चर्चा के दौरान ट्रांसपोर्ट नगर स्थल को लेकर सचिव स्तर की अधिकारियों की समिति गठित कर जांच करने की बात कही थी। इसी तारतम्य में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 9 सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है।

समिति में ये शामिल

समिति में प्रमुख सचिव वन विभाग को अध्यक्ष बनाया गया है। समिति में भारसाधक सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, भारसाधक सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, भारसाधक सचिव परिवहन विभाग, भारसाधक सचिव खनिज साधन विभाग, उप सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग, संचालक नगर तथा ग्राम निवेश, प्रतिनिधि पर्यावरण संरक्षण मण्डल सदस्य होंगे। कलेक्टर कोरबा उक्त समिति के सदस्य सचिव होंगे। उपरोक्त समिति का नोडल विभाग परिवहन विभाग बनाया गया है।

एसईसीएल के बाद पर्यावरण विभाग ने एनओसी देने से किया इंकार ,भाजपा का फिर पलटवार

नया ट्रांसपोर्ट नगर बसाहट को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस मामले में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है।एस.ई.सी.एल. कंपनी के बाद पर्यावरण विभाग ने बरबसपुर में इसके निर्माण को लेकर अनापत्ति देने से इंकार कर दिया है। इसके बाद जिला भाजपा अध्यक्ष ने राजस्व मंत्री पर पलटवार करते हुए जमकर निशाना साधा है। उन्होने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी बरबसपुर से ट्रांस्पोर्ट नगर को अन्यत्र बनाने का प्रस्ताव बना रहे है जो स्वागतेय है, लेकिन मंत्री जी किस व्यक्तिगत लाभ कि वजह से इसका विरोध कर रहे है यह समझ से परे है।जिला भाजपा कार्यालय पं. दीनदयाल कुंज में जिलाध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह ने पत्रकारों के समक्ष इस मामले में सीधे तौर पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल कि कार्य प्रणाली को लेकर अनेक प्रश्न उठाये। उन्होने आगे कहा कि पूर्व में मंत्री जी ने सभी विभाग से अनुमोदन मिलने के पश्चात् बरबसपुर में ट्रांस्पोर्ट नगर को बनाये जाने का निर्णय लिये जाने का राग अलाप रहे थे जबकि यह तथ्यहीन है क्योकि एस.ई.सी.एल. ने इस स्थल को कोल क्षेत्र होने का हवाला देते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिया है। उसका कहना है कि भविष्य में इस क्षेत्र में कोल उत्खनन तेजी से होगा ऐसे में निर्माण की अनुमति दे पाना संभव नही है। कुछ इसी तरह का हवाला पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा जिला के क्षेत्रीय अधिकारी ने दिया है। उनका तर्क है कि केन्द्रीय प्रदुषण बोर्ड द्वारा बरबसपुर क्षेत्र के 200 से 500 मीटर की भूमि को विकास रहित क्षेत्र घोषित किया है। ऐसे में बफर जोन के आर-पास किसी तरह का निर्माण किया जाना नियमों का उल्लंखन है अतः इस क्षेत्र में प्रस्तावित टी.पी. नगर बनाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाना संभव नहीं है। जिलाध्यक्ष ने आगे कहा कि जिला प्रशासन सही तथ्यो को लेकर आगे बढ़ रहा है ताकि भविष्य में कोई विवाद ना हो ऐसे में मंत्री जी बाबसपुर में ही निर्माण कराने को लेकर जिद पर अड़े हैं क्योंकि इसमें उनका परिवार या मित्रों का लाभ दिख रहा है जबकि भाजपा उस स्थल पर निर्माण कराये जाने पर जोर दे रहा है जहां कि जमीन पर किसी तरह का विवाद ना हो और भविष्य में शासन किसी भी स्थल का चयन करती है तब उसका भी समर्थन किया जायेगा।