हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। एनटीपीसी कोरबा परियोजना के धनरास राखड़ डेम से उड़ने वाले राखड़ की समस्या का निदान नहीं कर पाने से एनटीपीसी प्रबंधन को प्रभावित आधा दर्जन गांवों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। आक्रोशित प्रभावितों ने जिला पंचायत सदस्य व ग्रामीणों के नेतृत्व में राखड़ डेम का घेराव कर कार्यों को बंद करा दिया। प्रभावितों ने प्रबंधन को 10 दिनों की मोहलत दी है । तय समयावधि में समस्या का निदान नहीं करने पर उग्र आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है।

यहाँ बताना होगा कि एनटीपीसी कोरबा परियोजना के धनरास राखड़ डेम से प्रभावित ग्राम धनरास ,छुरी ,खुर्द ,सलिहाभांठा ,लोतलोता के ग्रामीणों को राखड़ डेम से उड़ने वाले राखड़ का समुचित प्रबंधन नहीं कर पाने राखड़ उड़ने की समस्या से दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राखड़ से न केवल घर सराबोर हो जा रहे,कपड़े पीने के पानी ,खाद्य पदार्थों तक राखड़ की परत जम जा रही। लोग स्वाथ्यगत परेशानियों से जूझ रहे। जिसको लेकर पूर्व में भी राखड़ बांध का कार्य जनप्रतिनिधियों के साथ ग्रामीण बंद करवा चुके हैं जिसमें राखड़ डेम हमेशा गीला रखने सहित प्रभावितों को उचित मुआवजा ,अन्य सुविधाएं दिए जाने की सहमति दी गई थी। लेकिन राखड़ उड़ने की समस्या का प्रबंधन आज पर्यन्त स्थाई समाधान नहीं कर सका। जिससे एक बार फिर प्रभावित व प्रबंधन आमने सामने आ गए हैं। आक्रोशित प्रभावितों ने जिला पंचायत सदस्य व ग्रामीणों के नेतृत्व में राखड़ डेम का घेराव कर कार्यों को बंद करा दिया। प्रभावितों ने प्रबंधन को 10 दिनों की मोहलत दी है । तय समयावधि में समस्या का निदान नहीं करने पर उग्र आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है।
तो कैसे अस्तित्व में आएगी 800 मेगावाट की प्रस्तावित इकाई
एनटीपीसी कोरबा परियोजना की 800 मेगावाट की एक इकाई कोरबा में प्रस्तावित है । शुक्रवार को विकास भवन एनटीपीसी कोरबा में पत्रकारों से चर्चा के दौरान नवपदस्थ महाप्रबंधक बी आर राव ने उक्त जानकारी साझा की थी। साथ ही उन्होंने राखड़ उपयोगिता का दायरा बढ़ने पर ही इस प्रस्तावित परियोजना की धरातल पर आने की बात स्वीकारी थी। लेकिन जिस तरह वर्तमान संचालित इकाईयों से उत्सर्जित राखड़ के प्रबंधन में ही एनटीपीसी प्रबंधन फेल रहा है उससे भावी प्रोजेक्ट महज सपना ही कहीं न रह जाए। एनटीपीसी का राखड़ उपयोगिता पिछले तीन सालों से 70 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ा। जबकि शत प्रतिशत राखड़ उपयोगिता सुनिश्चित किए जाने की दिशा में देश के अन्य संयंत्र आगे बढ़ रहे। निश्चित तौर पर इस चुनोतियों से प्रबंधन को निबटना होगा।