Bihar Politics: चुनाव में जीतकर भी अब चैन से नहीं रह पाएंगे बिहार के 27 MLA

विधानसभा चुनाव -2020 में हारे प्रत्याशियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के विधायकों की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हारे हुए कुछ प्रत्‍याशियों ने तो सीधे चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाया है और आयोग के खिलाफ कोर्ट गए हैं।

पटना, । विधानसभा चुनाव में कम अंतर से जीते विधायकों की परेशानियों में इजाफा होने वाला है। पराजित प्रतिद्वंद्वियों ने पटना हाईकोर्ट में दस्तक दी है। केस फाइल हो गया है। मुख्य न्यायाधीश के सामने प्रस्तुति और लिस्टिंग भी हो चुकी है। चार जनवरी को अदालत खुलने के बाद सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

चुनाव आयोग के फैसले पर उठाए सवाल

मुकदमा दर्ज कराने वालों में सबसे ज्यादा आठ राजद और छह कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। पांच निर्दलीयों को भी प्रतिद्वंद्वियों की जीत पर आपत्ति है। सत्ता पक्ष के भी पांच प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाए हैं। इनमें तीन जदयू और दो भाजपा के हैं। माकपा और बसपा के भी एक-एक प्रत्याशी हैं। दो ने सीधे चुनाव आयोग को ही पार्टी बनाया है। एक मामला विधान परिषद का है। टिकारी के कांग्रेस प्रत्याशी सुमंत कुमार का आरोप है कि रिटर्निंग अफसरों ने पक्षपात करके जीतने के बाद भी हारा हुआ घोषित कर दिया है।

इन दलों के प्रत्‍याशी हैं निशाने पर

जिन विधायकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, उनमें सबसे ज्यादा नौ जदयू के हैं, जबकि भाजपा के छह हैं। राजद के भी सात विधायक हैं, जिन्हें हारे हुए प्रत्याशियों ने निशाने पर रखा है। कांग्रेस, माले, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और लोजपा के एक-एक विधायक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ है। भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव की जीत को भी निर्दलीय प्रत्याशी अवधेश कुमार सिन्हा ने चुनौती दी है।

पक्ष-विपक्ष दोनों ओर से मुकदमा

हाईकोर्ट के वकील शशिभूषण मंगलम ने बताया कि नियमों के मुताबिक नतीजे आने के बाद से 45 दिनों के भीतर कोई भी प्रत्याशी परिणाम को चुनौती दे सकता है। हारे हुए 29 प्रत्याशियों ने मतगणना में गड़बड़ी एवं अन्य आरोपों में 27 विधायकों के खिलाफ 24 दिसंबर तक अलग-अलग तारीखों में मुकदमा दर्ज कराया है। इनमें विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के भी प्रत्याशी हैं। मात्र 12 वोटों से हार जाने वाले राजद के पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव ने तो पहले ही निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दे रखी है।

किसने-किसकी बढ़ाई मुश्किलें

हारे प्रत्याशी – वर्तमान विधायक – क्षेत्र

 कांग्रेस 

सुमंत कुमार – हम के अनिल कुमार : टिकारी

गजानन शाही – जदयू के सुदर्शन कुमार- बरबीघा

विनय वर्मा – भाजपा की रश्मि वर्मा – नरकटियागंज

उमेश कुमार राम – जदयू के अशोक कुमार चौधरी- सकरा

रवि ज्योति कुमार – जदयू के कौशल किशोर- राजगीर

मोहन श्रीवास्तव- भाजपा के प्रेम कुमार – गया शहर

अंबिका यादव – राजद के सुधाकर सिंह – रामगढ़

राजेंद्र प्रसाद सिंह-लोजपा के राजकुमार सिंह

 राजद

 शक्ति यादव- जदयू के प्रेम मुखिया – हिलसा

रितु जायसवाल – भाजपा की गायत्री देवी – परिहार

राजेंद्र प्रसाद – जदयू के दामोदार रावत- झाझा

अविनाश विद्यार्थी – भाजपा के प्रणव कुमार- मुंगेर

अबु दोजाना – जदयू के दिलीप राय

विपिन कुमार मंडल- जदयू के गोपाल मंडल – गोपालपुर

सरोज यादव – भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह – बड़हरा

दिगंबर तिवारी – जदयू के संजीव कुमार – परबत्ता

भाजपा

मिथिलेश तिवारी – राजद के प्रेम शंकर प्रसाद-बैकुंठपुर

सचींद्र प्रसाद सिंह- राजद के मनोज यादव- केसरिया

जदयू

रंजू गीता – राजद के मुकेश यादव – बाजपट्टïी

श्याम बिहारी प्रसाद- राजद के शमीम अहमद – नरकटिया

महेंद्र राम – कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी – राजापाकर

निर्दलीय

अनिल कुमार सिंह – जदयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव -सुपौल

रवींद्र प्रसाद – राजद के अजय यादव – अतरी

ललितेश रंजन झा – भाजपा के विनोद नारायण झा – बेनीपट्टïी

बम शंकर चौधरी – राजद के भूदेव चौधरी

रहबर आबदीन – माले के महानंद सिंह अरवल

विधान परिषद

अवधेश कुमार सिन्हा – भाजपा के नवल किशोर यादव

 आयोग के खिलाफ केस

 विजय कुमार यादव

विश्वनाथ चौधरी