अधिवक्ता संघ चुनाव में जारी है शिकायतों का दौर ,अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे अधिवक्ता धनेश सिंह ने चुनाव अधिकारी पर लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना करने का लगाया गंभीर आरोप ,की निष्पक्ष जांच की मांग ,देखें पत्र ……

कोरबा। जिला अधिवक्ता संघ के चुनाव परिणाम के बाद शिकायतों का दौर नहीं थम रहा। स्टेट बार काउंसिल ऑफ छत्तीसगढ़ के सीसीटीवी फुटेज मंगाए जाने के बाद अब अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे
अधिवक्ता धनेश सिंह ने चुनाव अधिकारी पर लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच किये जाने की मांग की है। पत्र के बाद एक बार फिर खलबली मची है ।

राज्य विधिज्ञ परिषद (स्टेट बार एसोसिएशन) के सचिव को लिखे पत्र में श्री सिंह ने कहा है कि जिला अधिवक्ता संघ का चुनाव वर्ष 2024-26 जो कि 7 अप्रैल को संपन्न हुआ है वह पूर्णत: दूषित रहा है। चुनाव की घोषणा के बाद से ही मुख्य चुनाव अधिकारी के साथ साए की तरह पूर्व सहसचिव सांडिल्य का रहकर प्रत्येक कार्य में दखल देना, कोई सवाल चुनाव अधिकारी से करने पर उत्तर सांडिल्य द्वारा दिया जाता था। इस बात पर आपत्ति करने पर उनको बिना किसी प्रावधान के व्यवस्था प्रमुख बताया जाता था। मेरे द्वारा चुनाव अधिकारी को दिनांक 12 अप्रैल को एक पत्र लिखकर मांग की गई थी कि वे चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रहे हैं और मतपत्र उन्हें दिखाए बिना कुल 11 मत मिलना बताया गया, जबकि उनके समर्थकों की संख्या इससे अधिक थी इसलिए मूलपत्र को दिखाकर पुन: गणना करें एवं पुनर्गणना तक शपथ ग्रहण रोका जाए। उक्त मांग एवं आवेदन को चुनाव अधिकारी ने अधिवक्ता नियमावली का हवाला देते हुए स्वयं को सर्वोपरि बताते हुए प्रजातांत्रिक मूल्यों की अवहेलना कर निरस्त कर दिया।


इसी तरह चुनाव में सचिव पद के प्रत्याशी अधिवक्ता सुनील यादव ने बार एसोसिएशन को पत्र लिखकर निर्वाचन संबंधी सीसीटीवी फुटेज की प्रति दिलाए जाने की मांग रखी गई थी जिस पर बार एसोसिएशन ने सीसीटीवी फुटेज की प्रति परिषद कार्यालय एवं आवेदक अधिवक्ता यादव को दिए जाने का निर्देश जारी किया गया था परंतु चुनाव अधिकारी द्वारा आज दिनांक तक उक्त फुटेज प्रदान नहीं किया गया जिससे मतपत्रों में धांधली की आशंका और प्रबल हो जाती है। फुटेज देने में विलंब होने पर उसमें छेड़छाड़ की आशंका भी है। इसलिए उक्त फुटेज की जांच करवाया जाना भी न्यायोचित होगा। मांग है कि सहायक चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति किस आधार पर की गई। उनके चुनाव प्रचार के संबंध में क्या भूमिका थी इसकी जांच की जानी चाहिए। चुनाव के पश्चात् मतों को मतपेटियों में रखकर सीलबंद प्रत्याशियों के समक्ष करके सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया, इसकी भी जांच होनी चाहिए।बहरहाल इस पत्र के बाद संघ में खलबली मची है । आने वाले दिनों में शिकायतों के निराकरण नहीं होने पर शिकायतकर्ता अधिवक्ताओं का रुख देखने लायक होगा।