दिल्ली। भारत ने पहलगाम हमले का बदला ले लिया है. भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में मौजूद नौ आतंकवादी ठिकानों को नेस्तोनाबूद कर दिया है.
इस कार्रवाई में भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के बड़े अड्डे को निशाना बनाया. भारतीय सेना ने बताया कि 25 मिनट की कार्रवाई में आतंकियों की पनाहगाहों को चुन-चुन कर मिट्टी में मिला दिया गया. इनमें वो ठिकाने भी थे जहां कभी अजमल कसाब और हेडली जैसे आतंकियों को ट्रेनिंग दिया गया था.
भारतीय सेना ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा, ‘न्याय हुआ’. सरकार ने पुष्टि की कि इस कार्रवाई में प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के कई ठिकानों को तबाह कर दिया गया. सबसे हाई-प्रोफाइल लक्ष्यों में लाहौर से महज कुछ ही किलोमीटर दूर मुरीदके शहर में एक प्रमुख मरकज कैंपस शामिल था, जो लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वार्टर है. इसे ‘मरकज-ए-तैयबा’ के नाम से भी जाना जाता है. यह हेडक्वार्टर जमात-उद-दावा नाम की एक तथाकथित चैरिटेबल तंजीम के नाम पर ऑपरेट होता है, लेकिन यह लश्कर का ट्रेनिंग कैंप है.
फंडिंग और इतिहास
82 एकड़ में फैले इस कैंपस को अक्सर पाकिस्तान की ‘आतंकवादी नर्सरी’ के रूप में संदर्भित किया जाता है. यह भारतीय धरती पर हमलों की योजना में अपनी भूमिका के कारण लंबे वक्त से भारतीय खुफिया एजेंसियों की नजर में है. इस केंद्र को 2000 में स्थापित किया गया था और इस बनाने के लिए अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन ने 10 मिलियन रुपये फंडेड किया था. मरकज़ हाफ़िज़ सईद के नेतृत्व वाले आतंकवादी संगठन के संचालन का केंद्र है. इस साइट पर ग्रुप का उपदेश केंद्र, शैक्षणिक संस्थान, एक मदरसा, आवासीय क्वार्टर और धार्मिक ट्रेनिंग, हथियार प्रशिक्षण और भर्ती के लिए सुविधाएं मौजूद हैं.
भारतीय खुफिया रिपोर्टों ने बार-बार लोकल और विदेशी नौजवानों को कट्टरपंथी बनाने में इस साइट की भूमिका को उजागर किया है. इसमें हर साल करीब 1,000 स्टूडेंट्स अलग अलग प्रोग्रीाम्स में नामांकित होते हैं. इस परिसर में पुरुष भर्तियों के लिए सूफा अकादमी और महिलाओं के लिए एक अलग ट्रेंनिग सेंटर शामिल है. यह लश्कर के सीनियर नेतृत्व के लिए ट्रेनिंग कैंप के रूप में भी काम करता है.
इंटेलिजेंस ट्रेनिंग
सूत्रों ने बताया कि मरकज का इस्तेमाल 2008 के मुंबई हमलों में शामिल आतंकवादी गुर्गों को ट्रेंड करने के लिए किया गया था, जिसमें अजमल कसाब भी शामिल था. इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के गाइडेंस में इंटेलिजेंस ट्रेनिंग (दौरा-ए-रिब्बाफ) मिला था.
भारत का कड़ा संदेश
भारत का कहना है कि मुरीदके पर हमला पहलगाम के बैसरन पर में हमले का उचित जवाब था, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी. इस भयानक हमले की लश्कर के एक प्रतिनिधि संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने जिम्मेदारी ली थी. मरकज़ को निशाना बनाकर भारत ने न सिर्फ़ बुनियादी ढांचे को बल्कि लश्कर के वैश्विक जिहादी प्रोजेक्ट के केंद्र को भी निशाना बनाया. इसपर हमला करके भारत ने अपने खिलाफ़ आतंकवाद का समर्थन करने वाले को एक कड़ा संदेश दिया है.
भारतीय सेना ने इन आतंकी ठिकानों को किया तबाह
भारतीय सेन ने इस स्ट्राइक में लॉन्चपैड, ट्रेनिंग सेंटर्स को टारगेट कर तबाह कर दिया. सैन्य अफसरों ने बताया, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत मुजफ्फराबाद में मौजूद लश्कर के सवाई नाला ट्रेनिंग सेंटर को निशाना बनाया गया. सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम हमले के आतंकियों ने यहीं ट्रेनिंग ली थी. इसके अलावा, मुजफ्फराबाद के ही सैयदना बिलाल कैंप पर अटैक किया गया. इस कैंप का इस्तेमाल आतंकियों को हथियार, विस्फोटक और ट्रेनिंग देने के लिए किया जाता था. वहीं, गुरपुर के कोटली में लश्कर के कैंप को तबाह कर दिया गया. साथ ही भिम्बर के बरनाला कैंप, कोटली के अब्बास कैंप को निशाना बनाया गया. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सियालकोट के सरजल कैंप को भी तबाह किया गया. इस कैंप से ट्रेनिंग करने वाले आतंकियों ने ही मार्च 2025 में पुलिस जवानों की हत्या की थी.