दिल्ली। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत न सिर्फ पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारा है, बल्कि ऐसा सबक सिखाया कि आगे से वह कोई हिमाकत करने से पहले सौ बार जरूर सोचेगा. पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए भारत ने एयरस्ट्राइक की और इसके बाद भी पाकिस्तान नहीं माना तो जवाबी कार्रवाई करते हुए उसके अहम सैन्य ठिकानों को भी तबाह किया है.
इस जंग में चीन और तुर्की जैसे देश पाकिस्तान को पर्दे के पीछे से सपोर्ट कर रहे थे, लेकिन भारत के जांबाजों ने हर नापाक चाल को नाकाम कर दिया है.
PAK को तुर्की का फुल सपोर्ट
पाकिस्तान ने भारत के प्रमुख शहरों से लेकर सीमावर्ती इलाकों सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की भी कोशिश की. लेकिन देश के एयर डिफेंस सिस्टम ने न सिर्फ पाकिस्तान का हर हमला विफल कर दिया, बल्कि जवाबी कार्रवाई करते हुए दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया है. विदेश मंत्रालय ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर की गई प्रेस ब्रीफिंग में इस बात की जानकारी दी थी कि पाकिस्तानी सेना ने 8 मई की रात भारतीय शहरों पर हमले की जो कोशिश की थी, उसमें तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल किया था.
हालांकि भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने इन ड्रोन को मार गिराया और मलबे की शुरुआती फोरेंसिक जांच से पता चला है कि ये ड्रोन तुर्की निर्मित ‘असिसगार्ड सोंगार’ मॉडल थे, जिन्हें आमतौर पर निगरानी और सटीक हमलों के लिए तैनात किया जाता है. पाकिस्तान के तुर्की के साथ अच्छे संबंध हैं और वह हथियारों की सप्लाई के लिए मिडिल ईस्ट के इस देश पर निर्भर करता है. इससे जाहिर के तुर्की अंदरखाने से पाकिस्तान को हथियार बेचकर उसे सपोर्ट कर रहा है. संघर्ष से यह साफ हो गया कि भारतीय सैन्य बलों को पाकिस्तान से जंग लड़ने से पहले तुर्की के हथियारों की भी काट खोजनी होगी.
चीन ने चली नापाक चाल
इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान पर जो जवाबी कार्रवाई की है, उससे चीन की पोल भी पूरी तरह खुल चुकी है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का दिखावा करने वाला चीन लगातार पाकिस्तान को हथियार मुहैया करा रहा है. एक्सपर्ट ने शक जताया है कि चीन के ही कहने पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान हमले करने की हिम्मत जुटा पाया है. हालांकि अपने एक्शन में भारतीय सैन्य बलों ने जिन हथियारों को मार गिराया है, उनमें ज्यादातर चीन में ही तैयार हुए थे.
भारतीय सेना की ओर से भी रविवार को जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी, उसमें यह साफ बताया गया कि भारत के एक्शन में पाकिस्तानी ड्रोन और विमानों को नुकसान पहुंचा है. हालांकि सेना के इस बारे में किसी खास प्लेन का नाम या कोई आंकड़ा नहीं दिया था. सेना का कहना है पाकिस्तान का कोई विमान भारतीय क्षेत्र में दाखिल नहीं हो पाया है, साथ ही पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में कई पाकिस्तान प्लेन मार गिराए हैं. पाकिस्तान की तरफ से लड़ रहे यह प्लेन असल में चीनी माल थे और अब उनका हश्र दुनिया के सामने है.
चीनी हथियारों के भरोसे पाकिस्तान
पाकिस्तान ने पंजाब और PoK के कुछ हिस्सों में आतंकी ठिकानों पर भारतीय हमलों का जवाब देने के लिए JF-17 और J-10CE लड़ाकू विमानों के साथ PL-15E मिसाइलों को तैनात किया था. भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले के लिए भी पाकिस्तान ने HQ-9 मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल किया. HQ-9, और PL-15 E मिसाइलें और उनका प्लेटफॉर्म J-10CE सभी चीनी में ही तैयार होते हैं. दिलचस्प यह है कि भारत के खिलाफ इन चीनी हथियारों का इस्तेमाल सैन्य संघर्ष में पहली बार किया गया है.
इसी तरह JF-17 फाइटर जेट को चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बनाया है, पाकिस्तान को चीन का सपोर्ट दिखाता है कि कैसे अपने विस्तारवादी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ड्रैगन पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है. भारत-पाक के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से चीन की हथियार बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में उछाल आना इस बात की गवाही दे रहा है. इसका मतलब है कि चीनी शेयर बाजार मानता है कि अगर संघर्ष बढ़ता है तो चीन पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई करना जारी रखेगा और इससे उसे आर्थिक लाभ होगा.
भारत को जंग में झोंकने की साजिश
इसके अलावा अगर भारत के साथ पाकिस्तान संघर्ष में उलझा रहता है तो चीन को रणनीतिक लाभ होंगे. इससे लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन को चुनौती देने की भारत की क्षमता कम हो सकती है. साथ ही इससे भारत अपने सैन्य संसाधनों को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से हटा देगा. चीन एक तरह से छिपे हुए दुश्मन की तरह काम करता है जो भारत को तो जंग में घसीटना चाहता है लेकिन खुद युद्ध नहीं करना चाहता. इसके लिए वो पाकिस्तान जैसे डफर स्टेट को आगे कर रहा है.
भारत और पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर सीजफायर हो चुका है. लेकिन इसका क्रेडिट भी अमेरिका खाने की कोशिश कर रहा है. भारत ने साफ कर दिया है कि सीजफायर कराने में अमेरिका का कोई रोल नहीं है और भारत किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सेना की तरफ से सीजफायर के ऐलान से पहले ही एक्स पर पोस्ट कर यह दावा कर दिया कि अमेरिकी के प्रयासों के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव कम करने पर राजी हो गए हैं और इसके लिए उन्होंने खुद की पीठ भी थपथपा ली.
हर बात में अमेरिका का अड़ंगा
सूत्रों ने साफ किया जब 10 मई को भारत ने पाकिस्तान के बड़े एयर बेस पर हमला किया, तो अगले ही दिन अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सबसे पहले पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर से बात की और उसके बाद फिर से जयशंकर से संपर्क किया. विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह कॉल किसी सुलह के लिए नहीं थी. मार्को रुबियो ने पूछा था कि पाकिस्तान फायरिंग बंद करने को तैयार है, क्या भारत इससे सहमत होगा. इसके जवाब में भारत ने कहा कि अगर वे हमला नहीं करेंगे तो हम भी हमला नहीं करेंगे.
जाहिर है कि पाकिस्तान में भारत के जवाबी हमलों से खलबली थी और वह तनाव कम करना चाहता था. इससे पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से बातचीत में यह साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान हमला करता है तो भारत उसका मजबूती के साथ जवाब देगा. इस बातचीत में कहा गया था कि पाकिस्तान की गोली का जवाब भारतीय सेना गोला दागकर देगी. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान ने अमेरिका की आड़ ली है और उसे अपना शुभ चिंतक बता दिया है. पाकिस्तान तो चाहता था कि अमेरिका तनाव कम करने में उसकी मदद करे. लेकिन भारत को ऐसी कोई दखल स्वीकार नहीं थी.
इसके अलावा ट्रंप की तरफ से सीजफायर का क्रेडिट लेने के अलावा कश्मीर को लेकर भी मध्यस्थता का ऑफर दिया गया था. लेकिन भारत ने साफ शब्दों में इसे ठुकराते हुए कहा कि कश्मीर बातचीत का मुद्दा ही नहीं है. भारत का मानना है कि अगर पाकिस्तान PoK को लौटाना चाहता है तो बातचीत जरूर हो सकती है. इसके अलावा अगर पाकिस्तान आतंकियों को सौंपने के लिए तैयार है, तब बातचीत की जा सकती है. कश्मीर पर किसी की भी दखल को भारत कभी स्वीकार नहीं करेगा.