पिता ने बनाए 10 हजार टेस्ट रन, खुद की गाड़ी 11 वनडे में 151 रन पर थमी, फिर BCCI से बगावत और बैन

रोहन गावस्कर का आज जन्मदिन है. पिता सुनील गावस्कर की तरह ही उन्होंने भी क्रिकेट में अपना करियर बनाया. लेकिन कभी भी पिता के महान करियर की छाया से बाहर नहीं आ सके. हमेशा रोहन गावस्कर (Rohan Gavaskar) की तुलना उनके पिता से की जाती रही. सुनील गावस्कर की तरह मुंबई से घरेलू क्रिकेट खेलने के बजाए वे बंगाल की ओर से खेले. बाद में इस टीम के कप्तान भी बने. रोहन का फर्स्ट क्लास शानदार रहा. इसके दम पर उन्हें भारतीय वनडे टीम में जगह भी मिली. यहां उन्होंने 11 मुकाबले खेले लेकिन कोई बड़ी पारी नहीं आई. इस वजह से फिर बाहर भी हो गए. साल 2007 में जब इंडियन क्रिकेट लीग के नाम से बीसीसीआई के खिलाफ क्रिकेट टूर्नामेंट लाया गया तो रोहन भी इसमें चले गए थे.

इसके चलते उन्हें प्रतिबंध भी झेलना पड़ा. लेकिन 2009 में बीसीसीआई से माफी भी मिल गई.

रोहन का जन्म 20 फरवरी 1976 को कानपुर में हुआ. सुनील गावस्कर ने उनका नाम रोहन जयविश्वा रखा था. नाम रखने की दिलचस्प कहानी है. दरअसल वेस्ट इंडीज के रोहन कन्हाई और भारत के एमएल जयसिम्हा व गुंडप्पा विश्वनाथ का खेल सुनील गावस्कर को काफी पसंद था. ये तीनों उनके पसंदीदा खिलाड़ी थे. ऐसे में उन्हें ट्रिब्यूट देने के लिए उन्होंने अपने बेटे का नाम रोहन जयविश्वा रखा. हालांकि बाद में रोहन जयविश्वा के बजाए रोहन सुनील गावस्कर के नाम से ही ज्यादा जाने गए. रोहन गावस्कर ने शुरुआती दिनों में तो मुंबई में ही क्रिकेट का ककहरा सीखा लेकिन फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने वे बंगाल गए.

बंगाल के लिए रणजी में 51 की औसत से बनाए रन

1996-97 के सीजन के वक्त जब उनका डेब्यू हुआ तब मुंबई की बैटिंग बड़ी धांसू थी. वहां पर नए बल्लेबाज के लिए जगह ही नहीं थी. ऐसे में रोहन बंगाल चले गए. वहां 2001-02 के सीजन में टीम के कप्तान भी रहे. लेकिन टीम का खेल खराब रहा. रोहन बाएं हाथ के बल्लेबाज और स्पिन गेंदबाज थे. रोहन गावस्कर ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 117 मैच में 44.19 की औसत से 6938 रन बनाए. इसमें 18 शतक और 34 अर्धशतक शामिल थे. नाबाद 212 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. वहीं गेंदबाजी में 38 विकेट निकाले. लिस्ट ए में रोहन ने 126 मैच में 3157 रन बनाए और 58 विकेट लिए. बंगाल के लिए उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 75 मैच में 51 की औसत से 5073 रन बनाए. इस लिहाज से वे बंगाल के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने में अरुण लाल और पंकज रॉय के बाद तीसरे नंबर पर रहे.

वीबी सीरीज से इंटरनेशनल डेब्यू

घरेलू क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन के चलते 2003-04 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वीबी सीरीज के लिए उन्हें चुना गया. लेकिन इस छह मैच में वे केवल एक फिफ्टी लगा सके. यह अर्धशतक उन्होंने एडिलेड में जिम्बाब्वे के खिलाफ लगाया था. इस प्रदर्शन के बाद वे टीम से बाहर हो गए. लेकिन फिर वीडियोकॉन कप के लिए चुने गए. मगर रोहन इंटरनेशनल क्रिकेट में छाप नहीं छोड़ पाए. उनका इंटरनेशनल क्रिकेट महज नौ महीने चला. 18 जनवरी 2004 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका डेब्यू हुआ और 19 सितंबर 2004 को पाकिस्तान के खिलाफ मैच के साथ खत्म हो गया. रोहन ने 11 वनडे मैच में एक फिफ्टी के साथ 151 रन बनाए और एक विकेट लिया.

बागी हुए तो लगा बैन फिर माफी

फिर 2007 में रोहन इंडियन क्रिकेट लीग में शामिल हो गए. यहां वे कोलकाता टाइगर्स टीम से खेले. यह बीसीसीआई के खिलाफ बगावती सीरीज थी. ऐसे में जो भी भारतीय इसमें खेले वे बैन कर दिए गए. लेकिन आईसीएल लंबा चला नहीं. इस वजह से फिर बीसीसीआई ने रोहन गावस्कर सहित 71 खिलाड़ियों से बैन हटा लिया. साल 2010 में रोहन गावस्कर कोलकाता नाइटराइडर्स का हिस्सा बने. यहां उन्होंने दो मैच खेले. साल 2012 में उन्होंने संन्यास का ऐलान कर दिया. अब वे कमेंट्री की दुनिया में हैं.