समाजिक तलाक किसी भी परिस्थिति में मान्य नही – डॉ किरणमयी नायक,सगाई टूटने पर दोनो पक्षों ने प्रकरण समाप्त करते हुए सगाई में दिए गए सामानों को आयोग के समक्ष वापस किया
रायपुर । राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण श्रीमती अनीता रावटे, सुश्री शशिकांता राठौर एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में मंगलवार को शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। जिनमे महिला आयोग के समक्ष महिला उत्पीड़न से संबंधित 20 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए। जिनमें 20 प्रकरणो की सुनवाई हुई जिसमे 8 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गये, अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण मे पत्नी ने पंचायत सचिव पति के खिलाफ आयोग में शिकायत किया था कि पति द्वारा समाजिक तलाक लेकर भरण पोषण नही दे रहा है।आयोग द्वारा उभयपक्षो को समझाइश दिए जाने पर सहमत हुए,किन्तु दोनो के मध्य प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के कारण विवेचना आयोग किया जाना उचित नही होगा। इस प्रकरण में अनावेदक पति शासकीय सेवा में होते हुए भी सामाजिक तलाक का उल्लेख किया है, और एकमुश्त राशि 21 हज़ार रुपये देने का आवेदन आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है, जो कि अपने आपमे त्रुटिपूर्ण है। अनावेदक शासकीय सेवा में है और आवेदिका को भरण-पोषण राशि देने से बचने की कोशिश करता प्रतीत हुआ। यह सिविल सेवा आचरण संहिता के खिलाफ है।आवेदिका ने बताया कि शासकीय सेवा पुस्तिका में पत्नी के स्थान पर आवेदिका का नाम दर्ज है।इसके बावजूद पति बिना वैधानिक तलाक के सामाजिक तलाक 21हज़ार रुपये में कराये जाने का कथन उसके षड्यंत्र को प्रकट करता है। ऐसी दशा में आवेदिका चाहे तो इस प्रकरण के दस्तावेज की प्रमाणित प्रति लेकर अनावेदक के नियोक्ता पंचायत विभाग को लिखित आवेदन कर सर्विस बुक से नाम न काटे जाने बाबत तथा अनावेदक की मासिक वेतन से भरण पोषण पाने के लिए हकदार है। इस प्रकार प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने ससुराल वालों के खिलाफ पति का मानसिक संतुलन बिगड़ने के कारण इलाज न कराने को लेकर शिकायत की है। ससुराल वाले आवेदिका के पति के इलाज के समस्त दस्तावेजों को लेकर आयोग के समक्ष उपस्थित रहे। आवेदिका और ससुराल वालों को आयोग द्वारा समझाइश दिया गया कि जब तक आवेदिका के पति का इलाज चलेगा तब तक आवेदिका को जानकारी देने की सलाह दिया गया। इस प्रकार इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि पति ने अपनी पहली पत्नी से तलाक लेकर मुझसे शादी किया था, और बिना मुझसे तलाक लिये तीसरी शादी कर लिया है।जिसे अनावेदक ने स्वीकार किया और स्वीकार किया की उसने यह गलती किया है और तीसरी शादी को लगभग 3 साल हो गया है। आवेदिका ने यह भी बताया ससुराल में जेठ जेठानी और ससुर घर से निकालने की बात कर रहे हैं।अनावेदक पति अपनी सम्पत्ति का आधा हिस्सा देने से भी मुकर रहे है। इस प्रकरण में ससुराल वालों की उपस्थिति कराने के निर्देश के साथ आगामी तिथि को प्रकरण की सुनवाई किया जाएगा।एक अन्य प्रकरण में उभय पक्षों को आयोग द्वारा सुना गया।प्रकरण सम्पत्ति विवाद का है। सम्पत्ति में दोनों के हिस्से का निपटारा करने के लिए आयोग द्वारा एकअधिवक्ता को नियुक्त किया गया,जिससे दोनो पक्षों के साथ मौके पर उपस्थित रहकर दोनो के हिस्से का विभाजन करने और दोनो को एक दूसरे के हिस्से पर दखलंदाजी न करने के इस प्रकरण का निराकरण किया जा सके।