हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। एसईसीएल की दीपका परियोजना में उत्पादन बढ़ाने के लिए किये जा रहे प्रयासों के बीच भू-विस्थापित मलगांव के ओबी फेस के खदान के मुहाने पर वादाखिलाफी का आरोप लगा बेमियादी धरने पर बैठ गए हैं । प्रशासन के अधिकारी आंदोलनकारी भू -विस्थापितों को मनाने में जुटे हैं।फिलहाल दूसरे दिन भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। लाल झंडे को लक्ष्मण रेखा की तरह गाड़ प्रदर्शन कर रहे भू -विस्थापितों के आक्रोश के आगे एसईसीएल के अफसर बेबश नजर आ रहे हैं।

यहाँ बताना होगा कि एसईसीएल दीपका परियोजना द्वारा कोल उत्पादन बढ़ाने की कवायद की जा रही है। जिसके तहत मलगांव ओबी फेस में मशीनों के माध्यम से ब्लास्टिंग करके मिटटी की खुदाई की जा रही है। लेकिन शुरुआती दौर में ही इस कार्य में एसईसीएल को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। 15 सूत्रीय मांगों को लेकर एसईसीएल उर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले रविवार से भू विस्थापितों ने एसईसीएल पर वादा खिलाफी का आरोप लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारियों ने गेवरा दीपका खदान के बाहरी सीमा पर लाल झंडे गाड़ दिए हैं।प्रदर्शनकारी भू -विस्थापितों का कहना है कि इस सीमा को एक इंच भी लांघने पर घातक परिणाम भुगतना होगा। सीधे खदान में उतरकर उत्पादन को ठप्प कर दिया जाएगा। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि उनकी समस्याओं के समाधान में प्रशासन सार्थक पहल करे।नवपदस्थ एसडीएम नंद जी पाण्डेय के नेतृत्व में नायब तहसीलदार दीपका वीरेंद्र श्रीवास्तव ने रविवार को समझाईश दी। लेकिन प्रदर्शनकारी एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बिलासपुर में लिखित समझौते आश्वासन के बाद भी अमल नहीं करने पर समझौते के मूड में नजर नहीं आए।
ब्लास्टिंग के मुहाने पर बैठे हैं प्रदर्शनकारी,एसईसीएल को करोड़ों का हो रहा नुकसान
बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी ब्लास्टिंग के मुहाने पर बैठे हैं । जिसकी वजह से ब्लास्टिंग करना जोखिम भरा हो सकता है। लिहाजा एसईसीएल प्रबंधन भी प्रदर्शनकारियों के आगे झुक गया है । इस बेमियादी हड़ताल को शीघ्र समाप्त नहीं किया गया तो एसईसीएल को बड़ा वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा। एसईसीएल प्रबंधन ने सोमवार को प्रशासन से मदद भी नहीं मांगी। ऐसे में प्रबंधन भी स्थिति की नजाकत को भांपते हुए आगे बढ़ रहा है।
भू-विस्थापिताें की ये हैं 15 सूत्रीय मांगें
आंदोलन कर रहे भूविस्थापितों की प्रमुख मांगों में परियोजना, एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति व ग्राम समितियों का गठन किये जाने, इसके जरिए मुआवजा, रोजगार, बसाहट का निर्धारण हाे, छोटे-बड़े सभी खातेदारों के लिए राेजगार की व्यवस्था, सर्व सुविधायुक्त बसाहट की व्यवस्था, प्रभावित परिवार के बेरोजगारों की सहकारी समितियों, फर्म, कंपनियाें काे काम में 20 प्रतिशत आरक्षण, स्थानीय बेराेजगाराें व स्व-सहायता समूह के लिए वैकल्पिक रोजगार, आंशिक भूमि अधिग्रहण पर राेक लगाने की मांग शामिल है । इसी तरह भू-विस्थापित-किसान परिवार के बच्चों को प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा तक निशुल्क शिक्षा व इलाज की व्यवस्था, डीएमएफ की राशि का प्रभावित क्षेत्र के विकास कार्याें पर उपयाेग, राजस्व मामलाें काे शिविर लगाकर निराकरण करने सहित 15 सूत्रीय मांगे शामिल हैं।