रिटायर्ड टीचर के खाते से 6.21 लाख उड़ाए: दो साल तक सिम बंद होने पर कंपनी ने दूसरे को अलॉट कर दी, उसने नेट बैकिंग के जरिए निकाले रुपए…

वृद्ध शिक्षक तहसीलदार सिंह तो।

मुरैना/ मुरैना में ठगी का ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें न तो पासवर्ड पूछा गया और न ही कार्ड नंबर बताया गया फिर भी बैंक खाते से रुपए निकल गए। मुरैना में रिटायर्ड टीचर के खाते से 6 लाख 21 हजार रुपए उड़ा दिए। इसका खुलासा तब हुआ, जब वह पासबुक एंट्री करवाने बैंक पहुंचे। असल में, टीचर का बैंक खाते से लिंक मोबाइल नंबर वाली सिम दो साल से बंद पड़ी थी। ऐसे में कंपनी में वह नंबर दूसरे को अलॉट कर दिया। उस शख्स ने अपने नंबर से नेट बैंकिंग शुरू करवा ली। इसके बाद तीन बार में रुपए निकाल लिए। जिले के इकहरा गांव के रहने वाले तहसीलदार सिंह तोमर (70) पुत्र सेवाराम सिंह रिटायर्ड टीचर हैं। मुरैना की एसबीआई की मुख्य शाखा में उनका सेविंग अकाउंट है। तहसीलदार सिंह तोमर श्योपुर के माध्यमिक विद्यालय में टीचर थे। यह उनका सैलरी अकाउंट था। इसमें उनकी पेंशन जमा होती थी। खाते में करीब 6 लाख, 21 हजार, 200 रुपए जमा थे। पिछले एक साल से उन्होंने पैसे भी नहीं निकाले थे।

12 नवंबर को वह पासबुक की एंट्री करवाने बैंक पहुंचे। यहां देखा तो खाते में सिर्फ 200 रुपए बैलेंस था। बाकी 6 लाख 21 हजार रुपए गायब थे। यह देखकर वह सन्न रह गए। उन्होंने बैंक मैनेजर से संपर्क किया। बैंक मैनेजर ने केस दर्ज करवाकर जांच की बात कही। इसके बाद उन्होंने साइबर सेल में भी शिकायत की। ऐसे हुई ठगी जांच में पता चला कि तहसीलदार सिहं का बैंक खाता जिस मोबाइल नंबर से अटैच था, वह मोबाइल दो साल पहले ही बंद हो चुका था। ऐसे में मोबाइल कंपनी ने वह सिम दूसरे व्यक्ति को अलॉट कर दी। अब उस सिम वाले मोबाइल नंबर पर तहसीलदार सिंह तोमर के खाते संबंधी मैसेज आने लगे। उस व्यक्ति ने उस नंबर के माध्यम से तहसीलदार सिंह तोमर का खाता नेट बैकिंग से जुड़वा लिया। खाते के बारे में भी जानकारी ले ली। इसके बाद 31 अक्टूबर से 4 नवंबर 2021 के बीच रुपए निकाल लिए। उसने यह पैसा तीन बार नेट बैकिंग से ट्रांजेक्शन कर निकाले।

स्टेट बैंक की मुख्य शाखा जिससे रुपए गायब हुए

इन लोगों के खाते में गए पैसे साइबर सेल की जांच में पता चला कि जिन 4 लोगों के खाते में पैसे गए हैं, उनके नाम तहरीन, रारुख खान, मौफिज और रुखसाना हैं। पता चला है कि पहले सिम गुना के किसी व्यक्ति के पास थी। अब यह फरीदाबाद के किसी व्यक्ति के पास है। दर्ज नहीं की गई FIR दर्ज

मामले में FRI बैंक प्रबंधन ने नहीं की है। बैंक प्रबंधन की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। तहसीलदार सिंह तोमर ने बताया कि बैंक प्रबंधन ने जो पासबुकमें एंट्री की है, उसमें जिनके खाते में पैसा ट्रांसफर हुआ है, उसका जिक्र है, लेकिन जो स्टेटमेंट की कॉपी में उसका उल्लेख नहीं है। तहसीलदार सिंह तोमर का कहना है कि रुपए हमने बैंक में जमा कराए थे, इसलिए बैंक ही FIR दर्ज कराए। उन्होंने बैंक प्रबंधन से रुपए वापस करवाने का आवेदन दिया है।

तहसीलदार सिंह द्वारा दिया गया आवेदन।

जीवन भर की कमाई थी

तहसीलदार सिंह तोमर ने कहा कि यह उनकी जीवनभर की कमाई थी। रिटायरमेंट के समय से उन्होंने वृद्धावस्था के लिए पैसे जमा किए थे। उनका कहना है कि जब बैंक में ही रुपए सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो फिर रखने से क्या फायदा? बैंक की गलती होने पर वापस होगी राशि बैंक मैनेजर अमित भगत का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है। अगर तहसीलदार सिंह तोमर ने किसी मोबाइल लिंक पर क्लिक किया होगा या ऑनलाइन ठगी हुई होगी, तो उसमें बैंक कुछ नहीं कर सकता। अगर बैंक की गलती से पैसा निकला है, तो बैंक वापस करेगी।