स्वाद और सुगंध का अस्थाई तौर पर जाना कोरोना संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में शामिल है। कई संक्रमित इससे काफी घबरा जाते हैं। हालांकि, भारतीय डॉक्टरों की टीम का दावा है कि ये लक्षण असल में अच्छे संकेत होते हैं। जो मरीज स्वाद और सुगंध की क्षमता खो देते हैं, उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना कम हो जाती है।
जिन मरीजों में ऐसा होता है उनमें श्वसन संबंधी गंभीर अटैक नहीं होते हैं। सामान्यतः यह अटैक वायरस के 14 दिनों के साइकिल के दूसरे सप्ताह में आते हैं। दुनियाभर में कोरोना महामारी अब 10वें महीने में प्रवेश कर चुकी है। इस दौरान करीब सभी देशों में बड़ी संख्या में मरीजों ने स्वाद और सुगंध की क्षमता जाने की बात कही है।
हालांकि, आमतौर पर तीन से चार सप्ताह में यह समस्या ठीक हो जाती है। नोएडा में स्थित यथार्थ अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन और पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. अरुण लखनपाल और उनकी टीम का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आईसीयू में भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीजों ने स्वाद और सुगंध गंवाने की हिस्ट्री नहीं बताई है।
डॉ. लखनपाल ने कहा कि करीब 40 फीसदी मरीजों में स्वाद और सुगंध जाने के मामले सामने आए हैं, और यह इलाज के लिहाज से अच्छे संकेत होते हैं। मेदांता अस्पताल के वरिष्ठ निदेशक डॉ. सुशील कटारिया कहते हैं, ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत प्राय: नहीं पड़ती है और भर्ती करने की नौबत भी कम ही आती है।
जांच जरूर कराएं, कोई भी लक्षण हल्के में न लें
कई कोरोना मरीजों में स्वाद और सुगंध जाने के पूरे कारण अभी स्पष्ट नहीं हुए हैं। लेकिन माना जा रहा है कि वायरस सेंस से जुड़े नर्व को प्रभावित करते हैं, इसलिए ऐसा होता है। स्वाद और सुगंध का जाना सिर्फ कोरोना तक सीमित नहीं है। सर्दी, साइनसाइटिस, जैसे साधारण मामलों से लेकर ब्रेन ट्यूमर जैसे गंभीर मामलों में भी यह हो सकता है। डॉक्टरों की सलाह है कि कोई भी लक्षण दिखने पर उसे हल्के में न ले। खुद की कोरोना जांच कराएं और सभी गाइडलाइन का पालन करें। नियमित स्तर पर तापमान और ऑक्सीजन स्तर मापते रहें।