दिल्ली। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor – CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने देश के भविष्य को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि युवाओं में जंक फूड की बढ़ती खपत और जरूरत से ज्यादा स्क्रीन टाइम का चलन भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है।
यह चेतावनी उन्होंने CII (भारतीय उद्योग परिसंघ) की वार्षिक आमसभा को संबोधित करते हुए दी, जहां उन्होंने निजी क्षेत्र से अपील की कि वे युवाओं को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करें और अपने उत्पादों की दिशा पर पुनर्विचार करें।
क्या कहा भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने?👇
सीईए नागेश्वरन ने साफ तौर पर कहा:
“हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हम अपने युवाओं को क्या दे रहे हैं। जंक फूड, जिसमें अत्यधिक फैट, शुगर और नमक (HFSS – High Fat, Sugar, Salt) होते हैं, और लगातार स्क्रीन पर समय बिताना आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर खतरनाक असर डाल रहा है।”
उन्होंने जोर दिया कि सिर्फ 2% मुनाफा CSR फंड में देने से ही कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी पूरी नहीं होती, बल्कि उन्हें जन स्वास्थ्य को सुधारने में भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
जंक फूड और बच्चों की सेहत पर खतरा
आज भारत में छोटे बच्चों और किशोरों में मोटापा, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका एक बड़ा कारण अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और चीनी व तले हुए खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन है, जिसे बड़े स्तर पर सेलिब्रिटी विज्ञापनों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है। युवाओं को प्रभावित करने वाले ऐसे विज्ञापन अल्पकालिक मुनाफे के लिए दीर्घकालिक स्वास्थ्य संकट खड़ा कर रहे हैं। सीईए ने सवाल उठाया कि क्या निजी कंपनियों को इस पर जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?
स्क्रीन टाइम: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर👇
जंक फूड के साथ-साथ स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग भी एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। मोबाइल फोन, टैबलेट, लैपटॉप और टीवी के सामने घंटों बिताना ना सिर्फ नेत्र स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक संतुलन, नींद की गुणवत्ता और शारीरिक सक्रियता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों और किशोरों को दिन में 1-2 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम नहीं देना चाहिए, जबकि भारत में कई युवा प्रतिदिन 4 से 6 घंटे से अधिक समय डिजिटल स्क्रीन पर बिताते हैं। इसका सीधा असर व्यायाम की कमी, नींद में बाधा, और अनावश्यक कैलोरी सेवन के रूप में देखने को मिल रहा है।
अध्ययन: विज्ञापनों का सीधा असर कैलोरी खपत पर 👇
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि केवल 5 मिनट तक जंक फूड के विज्ञापन देखने के बाद ही 7 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे औसतन 130 अतिरिक्त किलोकैलोरी का सेवन कर लेते हैं – जो दो ब्रेड स्लाइस के बराबर है। चाहे विज्ञापन टीवी, मोबाइल या सोशल मीडिया पर दिखाया गया हो, उसका प्रभाव लगभग एक जैसा ही पाया गया। यह अध्ययन दर्शाता है कि जंक फूड विज्ञापन बच्चों की खाने की आदतों को बदल देते हैं, और कंपनियों की ब्रांडिंग रणनीति सीधे तौर पर बाल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही है।
स्वस्थ जीवनशैली की ओर बढ़ने की आवश्यकता 👇
विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने स्पष्ट किया है कि जंक और प्रोसेस्ड फूड से दूरी, मीठे पेय पदार्थों का सीमित सेवन, कम वसा वाला और विविध आहार ही आज की जरूरत है। इसके साथ ही कम से कम 30 मिनट की रोज़ाना शारीरिक गतिविधि, जैसे पैदल चलना, दौड़ना या योग भी जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली केवल व्यक्तिगत लाभ नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय उत्पादकता और स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ को कम करने का ज़रिया भी है। CEA नागेश्वरन का यह बयान इसी दिशा में एक जागरूकता की पुकार है।
प्रधानमंत्री मोदी की ‘विकसित भारत’ की अपील और फिटनेस संदेश 👇
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी कई बार स्वस्थ भारत और फिटनेस पर बल दे चुके हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे तैलीय खाद्य पदार्थों का उपयोग 10% तक घटाएं और अपने खानपान व जीवनशैली में संतुलन लाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा था: 👇
“व्यक्तिगत फिटनेस, विकसित भारत की दिशा में आपका सबसे बड़ा योगदान हो सकता है।”
उन्होंने नागरिकों से अपने BMI (Body Mass Index) पर ध्यान देने, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ को अपनाने का आह्वान किया है। यह संदेश इस बात को रेखांकित करता है कि एक स्वस्थ समाज ही एक विकसित राष्ट्र की नींव रख सकता है।
क्या कर सकते हैं अभिभावक और स्कूल?👇
👉बच्चों की सेहत की रक्षा केवल सरकार या कंपनियों की जिम्मेदारी नहीं है। अभिभावकों और शिक्षण संस्थानों को भी आगे आकर बदलाव की पहल करनी होगी:
👉स्कूलों में जंक फूड पर प्रतिबंध लगाया जाए।
👉बच्चों को स्वस्थ खाने के विकल्पों के बारे में सिखाया जाए।
👉खेल, योग और आउटडोर गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए।
👉अभिभावक घर में स्क्रीन टाइम सीमित करने और पोषणयुक्त भोजन देने की दिशा में कदम उठाएं।
स्वास्थ्य नहीं तो भविष्य नहीं👇
भारत एक युवा देश है, और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। लेकिन यदि हमारे युवा बीमार, मोटे, मानसिक रूप से अस्थिर और असक्रिय हो जाएंगे, तो देश का डेमोग्राफिक डिविडेंड एक बोझ में तब्दील हो जाएगा। वी. अनंत नागेश्वरन की चेतावनी समय रहते सुनी जानी चाहिए। यदि सरकार, उद्योग जगत, समाज और हर नागरिक मिलकर प्रयास करें, तो हम भारत को स्वस्थ, सशक्त और विकसित राष्ट्र के रूप में तैयार कर सकते हैं।