कोरोना रोधी वैक्सीन की बढ़ती मांग: भारत बायोटेक ने कहा- कोवैक्सीन का उत्पादन और आपूर्ति प्रक्रिया जटिल एवं लंबी

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना रोधी वैक्सीन की बढ़ती मांग के बीच भारत बायोटेक ने शुक्रवार को कहा कि कोवैक्सीन के उत्पादन और आपूर्ति की प्रक्रिया जटिल और लंबी है। वैक्सीन के एक बैच के फैक्ट्री से टीका केंद्रों तक पहुंचने में विभिन्न प्रक्रियाओं और अनुमोदनों से गुजरना पड़ता है।

एक बैच के फैक्ट्री से टीका केंद्रों तक पहुंचने में लगते हैं 120 दिन

हैदराबाद स्थित कंपनी ने कहा कि तकनीकी ढांचे और नियामक दिशानिर्देशों के मुताबिक कोवैक्सीन के एक बैच के उत्पादन, जांच और उसे जारी करने में 120 दिन का समय लगता है। कंपनी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि कई राज्यों से कोवैक्सीन की मांग आ रही है और इसका उत्पादन बढ़ाने की बात कही जा रही है।

जिस बैच का उत्पादन मार्च में शुरू हुआ, वह जून तक तैयार होकर मिलेगा

कंपनी ने एक बयान में कहा कि मार्च में कोवैक्सीन के जिस बैच के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, वह जून में तैयार होकर मिलेगा। वैक्सीन के उत्पादन से लेकर वितरण के बीच कई प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है। कई कदम उठाने पड़ते और इसमें बड़े पैमाने पर मानव श्रम लगता है। इसमें अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं से लेकर उत्पादकों, नियामकों और राज्य एवं केंद्र सरकार के बीच बहुत ही उच्चस्तरीय समन्वय की जरूरत होती है।

स्पुतनिक-वी की सप्लाई करने वाली कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के नाम पर वैक्सीन की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। हैदराबाद स्थित कंपनी और स्पुतनिक-वी की मार्केटिंग करने वाले रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (आरडीआइएफ) ने एक संयुक्त बयान में कहा कि उनकी तरफ से भारत में किसी भी दूसरी कंपनी को स्पुतनिक-वी की आपूर्ति करने के लिए अधिकृत नहीं किया है। डॉ. रेड्डीज का कहना है कि भारत में स्पुतनिक-वी ब्रांड पर सिर्फ उसका एकाधिकार है और वैक्सीन की शुरुआती 25 करोड़ डोज वितरण करने का अधिकार भी उसी के पास है।

कोवैक्सीन के लिए सब्सटेंस का उत्पादन करेगा गुजरात

भारत बायोटेक के कोरोना टीका कोवैक्सीन के उत्पादन में गुजरात अहम भूमिका निभाएगा। गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर ने भारत बायोटेक के साथ उसके टीके के लिए जरूरी सब्सटेंस (पदार्थ) का उत्पादन करने के लिए समजौता किया है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस समझौते के बाद कहा कि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगस्त में गुजरात बायोटेक्नोलॉजी में ड्रग सब्सटेंस का उत्पादन शुरू हो जाएगा और इसके बाद भारत बायोटेक की वैक्सीन उत्पादन क्षमता प्रति माह दो करोड़ हो जाएगी।

रातों रात सुरक्षित टीके नहीं बनाए जा सकते : सरकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा कि वैक्सीन एक जैविक उत्पाद है और इसको तैयार करने और गुणवत्ता की जांच करने में समय लगता है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रातों रात ऐसा नहीं किया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा कि कोरोना टीकाकरण के लिए गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के जरिये भारत सरकार फाइजर और माडर्ना समेत देशी-विदेशी वैक्सीन उत्पादक कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है, ताकि देश में टीके की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।